Thursday, April 24, 2014

Few Lines by Javed Akhtar

These lines moved me so much that I especially wrote them in Hindi.

ज्ब ज्ब दर्द का बदल छाया 
ज्ब गम का साया लहराया
ज्ब आँसू पॅल्को तक आया
ज्ब यह तन्हा दिल घबराया
हमने दिल को यह समझाया
दिल आख़िर तू क्यू रोता है

दुनिया में यूही होता है
यह जो गहरे सन्नाटे है
वक़्त ने सबको ही बाट्‍टे है
थोडा गम है सबका हिस्सा
थोड़ी धूप है सबका हिस्सा
आँख तेरी बेकार ही न्म है
हर पल एक नया मौसम है
क्यो तू ऐसे पल खोता है
दिल आख़िर तू क्यो रोता है

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